विचित्र आवाज़ें विचित्र आवाज़ें
आजीवन करते हम संचय रहें, तो सुखमय जीवन रहे आए गम न पास। आजीवन करते हम संचय रहें, तो सुखमय जीवन रहे आए गम न पास।
कानून नामक सख्श भी, विचित्र है, भीड़ का अपना हीं,एक चरित्र है। कानून नामक सख्श भी, विचित्र है, भीड़ का अपना हीं,एक चरित्र है।
जिंदगी की बात ही जनाब अलग है कभी ग़म है , कभी भ्रम तो कभी सुुुुलग है। जिंदगी की बात ही जनाब अलग है कभी ग़म है , कभी भ्रम तो कभी सुुुुलग है।
कौन है वह ? कोई जीव है शायद..! कोई विचित्र जीव ! कौन है वह ? कोई जीव है शायद..! कोई विचित्र जीव !
मुझे फ़िर भी यही लग रहा था कि... जो मैंने देखा वह सच ही था कोई सपना नहीं था ! मुझे फ़िर भी यही लग रहा था कि... जो मैंने देखा वह सच ही था कोई सपना नहीं था !